बिलकिस कांड के दोषियों को वापस जाना पड़ेगा जेल, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'गुजरात सरकार का फैसला गलत था
1 जनवरी 2008 को मुंबई की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को उम्र कैद की सजा दी. 2017 में बॉम्बे हाई कोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा
गैंगरेप और हत्या के यह दोषी लगभग 15 साल जेल में बिताने के बाद अगस्त 2022 में रिहा हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकदमा महाराष्ट्र में चला था इसलिए, गुजरात सरकार दोषियों की रिहाई पर फैसला नहीं ले सकती थी.
2002 के गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के रंधिकपुर गांव की बिलकिस अपने परिवार के 16 सदस्यों के साथ भाग कर पास के गांव छापरवाड के खेतों में छिप गई. 3 मार्च 2002 को वहां 20 से अधिक दंगाइयों ने हमला बोल दिया.
आरोपियों की तरफ से पीड़ित पक्ष पर दबाव बनाने की शिकायत मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा महाराष्ट्र ट्रांसफर कर दिया था. 21 जनवरी 2008 को मुंबई की विशेष सीबीआई कोर्ट ने 11 लोगों को उम्र कैद की सजा दी.
13 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की बेंच ने एक दोषी राधेश्याम शाह की याचिका पर फैसला देते हुए कहा था कि उसे सजा 2008 में मिली थी इसलिए,
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भले ही यह दोषी लगभग डेढ़ साल से बाहर हैं, लेकिन उन्हें वापस जेल भेजने का फैसला लेते समय इस बात को महत्व नहीं दिया जा सकता. देश कानून के शासन के आधार पर चलता है. गुजरात सरकार के जिस आदेश के आधार पर यह रिहाई हुई, वह कानूनन गलत था,