एक आंगन में दो आंगन हो जाते हैं मत पूछा कर किस कारण हो जाते हैं राम की बस्ती में जब-जब दंगा होता है हिन्दू-मुस्लिम सब रावण हो जाते हैं
झुक के मिलते हैं बुजुर्गों से हमारे बच्चे फूल पर बाग की मिट्टी का असर होता है
मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता अब इस से ज़यादा मैं तेरा हो नहीं सकता
वो बिछड़ कर भी कहाँ मुझ से जुदा होता है रेत पर ओस से इक नाम लिखा होता है
नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता है परिंदों के लिए शहरों में पानी कौन रखता है
सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं हम तो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं
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