बहुत आभार है जयपुर का,
जो गाँव के अनपढ़-गवांर को नौकरी देती है,
उत्तर प्रदेश और बिहार की राजनीति तो
यहाँ के लोगों का निवाला तक छीन लेती है.
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मेरी जरूरतें और ख्वाहिशें जब बड़ी हो गई,
ऐसा लगा कि आँखों के सामने खड़ी हो जयपुर।
सूरज नाराज हो गया है जबसे शहर में आया हूँ,
जयपुर के मेरे फ्लैट पर रौशनी नहीं पड़ती है.
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मैं मधुमक्खी तुम मेरा छत्ता,
बैठ सका न अब तक अलबत्ता,
जयपुर का मैं हूँ निवासी सुनो
शायद तुम रहती हो कलकत्ता.
दिन- रात चलती है जयपुर ,
हर पल रंग बदलती है जयपुर ,
न थकती है न रुकती है बस चलती है जयपुर ,
दिन रात जगती है जयपुर ,
शोहरत – दौलत का नाम है जयपुर ,
हर किसी के लिए काम है जयपुर ,
बस थोड़ी सी बादनाम है जयपुर ,
लेकिन अपनी तो जान है जयपुर.
हजारों ख्वाब हकीकत में बदलते है,
तो लाखों टूट भी जाते है,
ये शहर जयपुर बहुत कुछ देता है,
पर बहुत कुछ छीन भी लेता है.
समुन्दर का किनारा और जयपुर का नजारा,
हमारे दिल को लगता है बड़ा ही प्यारा.
ये समुन्दर की लहरें दिलों को जोड़ती है,
तो ये जयपुर हजारों ख्वाहिशों को तोड़ती हैं.
ट्रेन भर-भर कर अधूरें ख्वाहिशों को लाती है जयपुर,
मेहनत करने वाले के चेहरे पर ख़ुशी लाती है जयपुर.
शहर में यूँ हादसा कब तक होता रहेगा,
इनके जिम्मेदारों को सजा कौन तय करेगा.
जयपुर शहर सी हो गई है तेरी यादें,
जो पूरी रात सोती नहीं, तुम मेरी होती नहीं
ये जयपुर है साहब –
माना आज मौसम बड़ा सुहाना है,
पर सबको काम पर ही जाना है.
जयपुर जाने की चाहत हो गई है,
टुकड़ो में सोने की आदत हो गई है,
नींद में जागकर सपने बुनने लगा हूँ मैं,
जयपुर पहुँचना ही इबादत हो गई है.
घर की खुशियों के लिए
अपनी खुशियां छोड़ आया आया हूँ,
उनकी उम्मीदें न टूटे इसलिए
अपनी ख्वाहिशें तोड़ आया हूँ,
अपनों की मोहब्बत ने बहुत रोका जयपुर आने से
पर रूख हर जज्बातों का मोड़ आया हूँ.
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जो शहर में आकर पैसा कमाते है,
वो अपनी खुशियों को मारकर
घर वालों की उम्मीदें जगाते है.
जब आया तो भूख थे पैसा कमाने की,
पैसा कमा लिया तो याद आने लगी घर जाने की.
हर निवाले की कीमत बता देती है जयपुर,
हर किसी को मेहनत करना सिखा देती है जयपुर।