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द्रौपदी मुर्मू:
द्रौपदी मुर्मू भारत की जनजातीय महिला राजनेता हैं। वह झारखंड के सिंघभूम जिले में एक जनजाति गांव में जन्मी थीं। उन्होंने अपनी शिक्षा को झारखंड के विभिन्न स्थानों से पूरा किया। उन्होंने अपना सामाजिक कार्य आरंभ करने से पहले स्कूलों में शिक्षक के रूप में काम किया था।
उन्होंने 1997 में झारखंड जनसंचार परिषद में एक सदस्य के रूप में अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत की। उन्होंने 2000 में राज्य विधानसभा के लिए उम्मीदवार बनने का फैसला किया था और उन्हें जारी टिकट से अंततः विजयी बनाया गया था।
उन्होंने 2005 में विधानसभा चुनावों में फिर से विजयी होकर अपनी सीट सुरक्षित की। उन्होंने फिर से 2010 और 2014 में विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की। उन्होंने 2014 में महिला सशक्तिकरण के लिए अपने बजट भाषण में उच्च डिजिटल फोन मिलाने की घोषणा की थी।
द्रौपदी मुर्मू 2019 में झारखंड के नए राज्यपाल के रूप में नामित की गईं। वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं और उन्हें इस पद पर नियुक्ति 18 फरवरी 2020 को मिली थी।
उन्होंने अपने कार्यकाल में राज्य के विकास और सुधार के लिए कई उपलब्धियां हासिल की हैं। उनके नेतृत्व में झारखंड ने बिजली, पानी, सड़कों, स्कूलों और अस्पतालों के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण पहल उठाई हैं।
उन्होंने झारखंड की स्वच्छता अभियान को बढ़ावा दिया है और नगरों को स्वच्छ रखने के लिए उन्होंने कई उपाय अपनाए हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान समाज कल्याण, महिला सशक्तिकरण और बच्चों के शिक्षा के लिए भी कई योजनाएं शुरू की हैं।
इन सभी उपलब्धियों के लिए, ड्रोपादी मुर्मू को सम्मानित किया गया है और वह झारखंड राज्य की तरक्की और विकास में अहम भूमिका निभा रही हैं।
द्रौपदी मुर्मू के जीवन के आरंभिक दौर के बारे में विवरण,
द्रौपदी मुर्मू ने अपनी शिक्षा झारखंड से प्राप्त की है। उन्होंने अपना स्नातक दांता बंगाल के बीरभूम विश्वविद्यालय से प्राप्त किया था। उन्होंने झारखंड के बौद्ध विश्वविद्यालय से अपना स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त किया था।
उन्होंने अपनी सिविल सेवा की तैयारी करने के बाद 1984 में झारखंड की सिविल सेवा में शामिल हो गईं। उन्होंने राज्य सभा के सदस्य के रूप में भी कार्य किया था। इसके बाद उन्होंने विभिन्न पदों पर काम किया, जिसमें झारखंड उच्च न्यायालय के जज के रूप में भी कार्य शामिल था।
द्रौपदी मुर्मू को समाज सेवा में अपना समय और शक्ति देने के लिए जाना जाता है। उन्होंने झारखंड में महिलाओं के लिए कई समूहों के साथ काम किया है जो उन्हें समूह के बनाने और संचालन में सक्षम बनाने की योजनाएं शुरू करने में मदद करते हैं।
राजनीतिक करियर:
ड्रोपादी मुर्मू ने अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत 1991 में झारखंड में आम चुनावों में अपने पहले चुनावी अभियान से की। उन्होंने कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा था और उन्हें विधान सभा चुनावों में विजय प्राप्त हुई थी। उन्होंने विधान सभा के सदस्य के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की और 1995 में फिर से विधान सभा चुनावों में जीत हासिल की।
द्रौपदी मुर्मू ने वर्ष 1999 में झारखंड के मुख्यमंत्री बनने का सम्मान प्राप्त किया। वे उस समय झारखंड की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। उन्होंने राज्य के विकास और महिलाओं के उत्थान के लिए काम किया और 2000 और 2005 में फिर से मुख्यमंत्री चुनाव जीते।
द्रौपदी मुर्मू ने 2005 में राज्य की गवर्नर बनने का सम्मान प्राप्त किया। वे झारखंड की पहली महिला गवर्नर थीं। उन्होंने 2012 तक गवर्नर के पद पर काम किया।
2019 में द्रौपदी मुर्मू को भारत की 14वीं राष्ट्रपति निर्वाचित किया गया था।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में, द्रौपदी मुर्मू ने कोविड-19 महामारी के कारण उन्हीं को देश में लगातार दोष देने वाले दवाओं और मेडिकल सुविधाओं के प्रसार से निपटने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम किया। उन्होंने अपनी प्रथम निर्देशक महासभा के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। उन्होंने साथ ही, द्रौपदी मुर्मू ने महिलाओं, असहाय वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों के उत्थान के लिए भी विभिन्न उपक्रमों का समर्थन किया है।
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नेतृत्व की भूमिकाएं:
द्रौपदी मुर्मू को अपने व्यापक नेतृत्व के लिए जाना जाता है। वह एक सामाजिक नेता होने के साथ-साथ देश के उत्थान के लिए भी काम करती हैं। उन्होंने दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित वर्गों के हितों के लिए समाज के अन्य नेताओं के साथ समझौते किए हैं।
उन्होंने भारत सरकार के विभिन्न स्तरों पर नेतृत्व की भूमिका निभाई है। वह प्रथम महिला मुख्यमंत्री थी जिसने झारखंड राज्य में नेतृत्व किया था। उन्होंने उच्च शिक्षा और संस्कृति मंत्रालय के रूप में झारखंड सरकार में मंत्री के रूप में भी काम किया हैं। वह भारतीय राज्यसभा के सदस्य भी रही हैं और उन्होंने भारत के राष्ट्रपति के पद के लिए उम्मीदवारी भी दर्ज कराई थी।
द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड राज्य के विकास और समृद्धि के लिए कई योजनाएं चलाई हैं। वह बच्चों के शिक्षा, महिलाओं के सम्मान और उनके हकों की रक्षा, आदिवासी विकास, किसानों के विकास और विभिन्न आर्थिक योजनाओं के माध्यम से राज्य के विकास में अहम भूमिका निभाती हैं।
उन्होंने नागरिकों के लिए उपलब्ध उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, स्थानीय विकास योजनाएं और जल संरक्षण के लिए योजनाएं शुरू की हैं। उन्होंने भी राज्य के आदिवासी वर्गों के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई हैं जिनका मुख्य उद्देश्य उन्हें अनुसूचित जाति के तौर पर उन्नत बनाना था। उन्होंने भारत के अन्य राज्यों में भी अपनी नेतृत्व कौशलों का प्रदर्शन किया है।
द्रौपदी मुर्मूके राजनीतिक करियर में वह झारखंड विधानसभा की सदस्य बनीं थीं। उन्होंने तीन बार विधानसभा चुनाव जीते थे और तीन बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया था।
द्रौपदी मुर्मू ने झारखंड में महिला सशक्तिकरण के लिए भी बहुत कुछ किया है। वह एक ऐसी महिला नेता हैं जो अपनी समुदाय के लोगों के समस्याओं को समझती हैं और उन्हें हल करने के लिए काम करती हैं। उन्होंने एक महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की जिससे महिलाओं को उच्च शिक्षा का अवसर मिलता है।
उन्होंने भारत की राजनीति में भी अपनी नेतृत्व कौशलों का प्रदर्शन किया है। उन्होंने लोकसभा चुनाव में भी अपनी भूमिका निभाई है। उन्होंने झारखंड से लोकसभा चुनाव लड़ा था लेकिन उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
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उपलब्धियां:
द्रौपदी मुर्मू के करियर में कई उपलब्धियां हैं।
- वह झारखंड विधानसभा की सदस्य थीं और तीन बार विधानसभा चुनाव जीती थीं।
- वह तीन बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में कार्य किया थी।
- उन्होंने झारखंड में महिला सशक्तिकरण के लिए काम किया और एक महिला विश्वविद्यालय की स्थापना की।
- वह भारत की राजनीति में भी अपनी नेतृत्व कौशलों का प्रदर्शन किया है और लोकसभा चुनाव में भी अपनी भूमिका निभाई है।
- उन्होंने भारत सरकार की राष्ट्रपति बनने के बाद विभिन्न देशों की यात्राएं की हैं और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की बैठकों में भी भाग लिया है।
ड्रोपादी मुर्मू ने अपने करियर में अनेकों उपलब्धियां हासिल की हैं और उनके योगदान से उनकी समुदाय की स्थिति में सुधार हुआ है।
उनकी अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से कुछ निम्नलिखित हैं।
- उन्होंने झारखंड में आदिवासी क्षेत्रों में जीवन के लिए आवश्यक सुविधाओं को बढ़ावा दिया है।
- उन्होंने एक ग्रामीण बैंक की स्थापना की थी, जो अपनी सेवाएं ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदान करती है।
- उन्होंने झारखंड में शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम योगदान दिया है। उन्होंने न केवल महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा दिया बल्कि झारखंड में अधिक संख्या में विश्वविद्यालयों की स्थापना करने का भी प्रयास किया है।
- उन्होंने आदिवासी क्षेत्रों में महिलाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने के उद्देश्य से महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं चलाईं हैं।
इन सभी उपलब्धियों से स्पष्ट है कि ड्रोपादी मुर्मू ने अपने करियर में आदिवासी समुदाय की समस्याओं के समाधान के लिए काफी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।
विवाद:
ड्रोपादी मुर्मू के व्यक्तिगत विवादों में से एक सबसे बड़ा विवाद है उनके द्वारा झारखंड विधानसभा में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को “बुद्धिजीवी” बताने का मामला है। इस बयान के बाद, झारखंड में सतर्कता के बढ़ते माहौल के बीच, विधानसभा में उपस्थित सदस्यों ने इस बयान को असंवैधानिक माना।
इसके अलावा, उन्होंने अपनी तस्वीरों के माध्यम से समाज में जातिगत विभेद को बढ़ावा दिया जाता है। उनकी तस्वीरों में आदिवासी उपस्थिति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जाति के संकेत उपयोग करने का आरोप लगाया गया है।
इन विवादों के बावजूद, ड्रोपादी मुर्मू एक महान नेता रही हैं जो अपने करियर में आदिवासी समुदाय के लिए कई उपलब्धियों को हासिल कर चुकी हैं।
इसके साथ ही, उन्होंने संसद में भारत के आदिवासी समुदाय की मुद्दों को उठाने के लिए भी कई बार आवाज उठाया है। वे आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष भी चलाती रही हैं। उन्होंने भारत सरकार से आदिवासी लोगों के लिए विशेष योजनाओं की मांग भी की है।
ड्रोपादी मुर्मू ने भारतीय राजनीति में अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करते हुए आदिवासी समुदाय के लिए अधिकारों की लड़ाई में अपना योगदान दिया है। उनकी नेतृत्व में झारखंड राज्य में आदिवासी समुदाय को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
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विरासत:
द्रौपदी मुर्मू की विरासत में उनके जीवन में दी गई लड़ाई और उनके देश के लिए उनके सेवानिवृत्ति का उदाहरण है। वह एक आदिवासी महिला के रूप में अपनी जानकारी, सामाजिक समर्थन और सशक्त नेतृत्व के माध्यम से देश के लिए एक विशेष योगदान दिया है। उन्होंने अपने जीवन में एक सकारात्मक संदेश छोड़ा है और देश के लिए अपने योगदान से विश्वास करती हैं।
द्रौपदी मुर्मू के नेतृत्व में, झारखंड राज्य में आदिवासी समुदाय के लिए कई अहम योजनाएं शुरू की गईं हैं। उनके नेतृत्व में, राज्य सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में जल संसाधन विकास, स्वास्थ्य सुविधाओं के विकास और विभिन्न अन्य समाज सेवा कार्यक्रम शुरू किए हैं।
निष्कर्ष:
मेरा निष्कर्ष है कि ड्रोपाडी मुर्मू एक महान व्यक्तित्व थीं। वह एक उद्यमी महिला थीं जिन्होंने अपने समुदाय के लिए बहुत से सामाजिक कार्य किए थे। वह लोगों को शिक्षा देने के लिए जीवनभर लड़ती रहीं और उन्हें उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने की कोशिश की। उन्होंने अपने समुदाय को सशक्त बनाने के लिए एक समूह बनाया जो महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने में मदद करता था।
उन्होंने अपने समुदाय के लिए अपने जीवन की समस्याओं से निपटने के लिए लड़ाई लड़ी थीं और लोगों को अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। ड्रोपाडी मुर्मू एक सामाजिक सुधारक थीं जो अपने समुदाय को उनके सभी अधिकारों के बारे में जागरूक करने का काम करती रहीं।
द्रौपदी मुर्मू ने अपने समुदाय के लिए बहुत से उपकार किए। उन्होंने समुदाय के लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए उनकी मदद की और उन्हें विभिन्न कौशलों का प्रशिक्षण दिया। इसके अलावा, उन्होंने समुदाय के लोगों को स्वस्थ रहने के लिए जागरूक किया और स्वच्छता एवं हाइजीन के महत्व को समझाया।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन उदाहरण देता है कि एक व्यक्ति किस तरह से अपने समुदाय के लिए कुछ अच्छा कर सकता है। वह एक महिला थीं जो अपने समुदाय के लोगों को उनके अधिकारों के बारे में जागरूक करने का काम करती रहीं। उनकी लड़ाई और प्रयासों से उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को सशक्त बनाया और उन्हें सकारात्मक बदलाव लाने में मदद की।
FAQ
Qus: द्रौपदी मुर्मू कौन थीं?
Ans: उन्होंने झारखंड की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में काम किया था।
Qus: द्रौपदी मुर्मू ने किस काम के लिए प्रसिद्धि पाई?
Ans: वह महिलाओं के लिए कई कार्यक्रम शुरू करने के लिए जानी जाती थी जो उन्होंने झारखंड में आवास, विद्यालय और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए शुरू किए थे।
Qus: द्रौपदी मुर्मू को किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?
Ans: उन्हें 2021 में “पद्मश्री” से सम्मानित किया गया था।
Qus: द्रौपदी मुर्मू किस राजनीतिक पार्टी से थीं?
Ans: वह झारखंड मुख्यमंत्री बनने से पहले झारखंड महिला मोर्चा के संस्थापक थीं जो भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध थी।